अष्टावक्र गीता-दोहे -9

21 Part

335 times read

15 Liked

*अष्टावक्र गीता*-9 अविनाशी है आत्मा,यही सत्य तुम जान। बुद्धिमान नर जान यह,धरे न धन का ध्यान।। हृदय वासना में रमे,जब मन में अज्ञान। कहे सीप को रजत यह,भ्रम बस मन नादान।। ...

Chapter

×